गुढ़ी

गोलेन्द्र पटेल (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

लौनी गेहूँ की हो या धान की
बोझा बाँधने के लिए – गुढ़ी
बूढ़ी ही पुरवाती है
बहू बाँकी से ऐंठती है पुवाल
और पीड़ा उसकी कलाई!

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