गुढ़ी
गोलेन्द्र पटेललौनी गेहूँ की हो या धान की
बोझा बाँधने के लिए – गुढ़ी
बूढ़ी ही पुरवाती है
बहू बाँकी से ऐंठती है पुवाल
और पीड़ा उसकी कलाई!
लौनी गेहूँ की हो या धान की
बोझा बाँधने के लिए – गुढ़ी
बूढ़ी ही पुरवाती है
बहू बाँकी से ऐंठती है पुवाल
और पीड़ा उसकी कलाई!