घिरनी

गोलेन्द्र पटेल (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

फोन पर शहर की काकी ने कहा है
कल से कल में पानी नहीं आ रहा है उनके यहाँ
 
अम्माँ! आँखों का पानी सूख गया है
भरकुंडी में है कीचड़
ख़ाली बाल्टी रो रही है
जगत पर असहाय पड़ी डोरी क्या करे?
 
आह! जनता की तरह मौन है घिरनी
और तुम हँस रही हो।

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