चाँदनी रात गर्म साँस तपती द~ह करोड़ों क़समों का युगों से गवाह बना, ए चाँद, बता कितनी क़समें कितनी बातें कितने वादे पूरे हुए कितने अधूरे रहे कुछ हिसाब है तेरे पास! रहने दे तू केवल देखता है बोलता कुछ नहीं।