एकता का बंधन

01-09-2021

एकता का बंधन

शैली (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

हिन्दी सहज है, सुन्दर और सरस है,
भारत की राज भाषा है,
पर हिन्दी का महत्व
मात्र हिन्दी-दिवस पर नज़र आता है
बाक़ी के दिन, देश में अंग्रेज़ी घूमती है 
अंग्रेज़ी खण्डहर में, ग़ुलामी गूँजती है 
अँग्रेज़ तो चले गए, पर अंग्रेज़ी यहीं रही 
मन से अँग्रेजों की ग़ुलामी नहीं गई 
अंग्रेज़ी बोल कर क़द बढ़ जाता है 
हिन्दी बोलने वाला मूर्ख कहा जाता है 
हमें अपने आप पर शक क्यों है? 
हिन्दी बोलने में शर्म क्यों है? 
लाख अंग्रेज़ियत ओढ़ लें, 
अँग्रेज़ तो नहीं बनेंगे 
न तीतर बनेंगे न बटेर रहेंगे 
इसलिये अपनी स्वदेशी पहचान बनायें 
कोट-पैंट, टाई पहन कर, अंग्रेज़ी मत गिटपिटायें
हिन्दी को अपनी भाषा, अपना अभिमान बनायें, 
स्वयं बोलें, दूसरों को भी सिखायें... 
हिन्दी भारत के बहुसंख्यक की भाषा है, 
संस्कृत और संस्कृति से पुराना नाता है, 
देश यदि शरीर तो हिन्दी आत्मा है... 
यही वह सूत्र है, जो देश जोड़ सकता है, 
बहु-भाषा का मंत्र, देश तोड़ सकता है 
हिन्दी ही देश की एकता का बंधन है, 
भारत का मान और माथे का चंदन है।

7 टिप्पणियाँ

  • बहुत सुंदर निज भाषा का नहीं गर्व जिसे, क्या प्यार देश से होगा उसे, वही वीर देश का प्यारा है, हिंदी ही जिसका नारा है।

  • 25 Aug, 2021 02:26 PM

    हिन्दुस्तान में हिन्दी की वास्तविक स्थिति और एक हिन्दुस्तानी की हार्दिक अभिलाषा

  • 24 Aug, 2021 11:40 PM

    सुन्दर अति सुन्दर......

  • 23 Aug, 2021 09:24 PM

    सुन्दर अति सुन्दर......

  • 23 Aug, 2021 07:49 PM

    सुन्दर रचना

  • 23 Aug, 2021 03:16 PM

    बेहद सरलता से आपने मातृभाषा को परिभाषित किया है, थोड़ा काल खंड में ही नयी पीढ़ी हिन्दी की उपयोगिता और सार्थकता को आत्मसात कर लेगी आपको साधुवाद वंदे मातरम जय हिन्द

  • 23 Aug, 2021 03:13 PM

    बहुत सही कहा है काश ऐसा सब सोचें

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