एक कलाकार की मौत - डॉ. रानू मुखर्जी
डॉ. शोभा श्रीवास्तवकहानी: एक कलाकार की मौत
कहानीकार: डॉ. रानू मुखर्जी
समीक्षा: डॉ. शोभा श्रीवास्तव
डॉ. रानू मुखर्जी की यह कहानी उनकी लेखन क्षमता की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करती है। अंत तक ऐसा लगता है जैसे रानू जी स्वयं कहानी सुना रही हैं। यह कहानी भावनात्मक संघर्ष के धरातल पर अवस्थित ऐसे मनोभाव को उजागर करती है जिसकी जकड़न में घिरा हुआ मनुष्य क्या खो रहा है, इस बात का वह अहसास ही नहीं कर पाता। बेटी पिता के बहुआयामी व्यक्तित्व पर गर्व करती है किन्तु पति की प्रतिभा जिसकी दुनिया सराहना करती है वही प्रतिभा पत्नी को जी का जंजाल लगती है। निराधार संदेह और सोच का यही खोखलापन रिश्ते की बुनियाद को ही खोखला कर देता है। शांतिप्रिय मनुष्य भले ही रिश्ते को टूटने से बचाने के लिये ख़ामोशी ओढ़ ले किन्तु उसके भीतर तब भी बहुत कुछ टूट रहा होता है। विश्वास और स्नेह से रिक्त भीतर की यह टूटन जिजीविषा को ही सोख लेती है। रह जाता है तो बस पिंजर– शुष्क, बेजान। इसके बावजूद बेटी तलाशती है अपने पिता का दबंग और सबल व्यक्तित्व, फोटो में ही सही। क्योंकि उसे पिता का कमज़ोर दिखना या हो जाना स्वीकार नहीं। रानू जी अपनी इस कहानी के माध्यम से भावनात्मक संघर्ष की सशक्त बानगी प्रस्तुत करती हैं। रानू जी रिश्तों में विश्वास, प्रेम और संवेदनशीलता की पक्षधर हैं। 'मैं' शैली में लिखी गयी इस कहानी की भाषाई गरिमा पात्रानुकूल एवं सराहनीय है। कहानी पाठक को अंत तक बाँधे रखती है। बेहतरीन रचना के लिये डॉ. रानू जी को बधाई।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- ग़ज़ल
-
- अर्श को मैं ज़रूर छू लेती
- करूँगा क्या मैं अब इस ज़िन्दगी का
- ख़त फाड़ कर मेरी तरफ़ दिलबर न फेंकिए
- डरता है वो कैसे घर से बाहर निकले
- तीरगी सहरा से बस हासिल हुई
- तुम्हारी ये अदावत ठीक है क्या
- दर्द को दर्द का एहसास कहाँ होता है
- धूप इतनी भी नहीं है कि पिघल जाएँगे
- रात-दिन यूँ बेकली अच्छी है क्या
- वो अगर मेरा हमसफ़र होता
- हमें अब मयक़दा म'आब लगे
- ख़ामोशियाँ कहती रहीं सुनता रहा मैं रात भर
- गीत-नवगीत
-
- अधरों की मौन पीर
- आओ बैठो दो पल मेरे पास
- ए सनम सुन मुझे यूँ तनहा छोड़कर न जा
- गुरु महिमा
- गूँजे जीवन गीत
- चल संगी गाँव चलें
- जगमग करती इस दुनिया में
- ठूँठ होती आस्था के पात सारे झर गये
- तक़दीर का फ़साना लिख देंगे आसमां पर
- तू मधुरिम गीत सुनाए जा
- तेरी प्रीत के सपने सजाता हूँ
- दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये
- दीप हथेली में
- फगुवाया मौसम गली गली
- बरगद की छाँव
- मौन अधर कुछ बोल रहे हैं
- रात इठला के ढलने लगी है
- शौक़ से जाओ मगर
- सावन के झूले
- होली गीत
- ख़ुशी के रंग मल देना सुनो इस बार होली में
- कविता
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- नज़्म
- कविता-मुक्तक
- दोहे
- सामाजिक आलेख
- रचना समीक्षा
- साहित्यिक आलेख
- बाल साहित्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-