जब तन दुखता है तो मन भी दुखता है जब मन में कोई पीर तन भी कटे वृक्ष सा गिर पड़ता है दोनों में ऐसी अन्त: पैथी स्वजन परिजन में क्या होगी वह देखो खड़े नीम के पत्तों की आँखें सुबह को चुपचाप टपकती हैं।