दिवाली मनाना है

28-07-2007

दिवाली मनाना है

डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव

 देह दीप बाती को प्रज्वलित कर के 
आत्म-ज्योति मुझको यहाँ फैलाना है,

 

अंदर-बाहर, सर्वत्र तिमिर की कालिख 
’भारतेन्दु’ पूरी तरह मिटाना है;

 

श्री संपदा से विभूषित हों, 
निर्धनता सारी मिट्टी में मिलाना है,

 

सु मन में सुख-शांति-समृद्धि सुमन खिलें, 
’भारतेन्दु’ ऐसी दिवाली मनाना है।

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