दिलबर की सूरत आँखों में तारी रख

15-06-2020

दिलबर की सूरत आँखों में तारी रख

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 158, जून द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

दिलबर की सूरत आँखों में तारी रख
चरचे में बेशक़ तू दुनियाँ सारी रख


फूलों सी मुस्काती सूरत प्यारी रख 
तू जीते जी सबसे दुनियाँदारी रख 


हलके में हर बात हमारी लेता है 
दिल पर पत्थर यार मिरे इक भारी रख 


हँसना रोना खाना-पीना जारी रख 
दोस्त हो या दुश्मन तू सबसे यारी रख 


दोष न दे अपनी करनी का औरों को 
अपने ऊपर अपनी ज़िम्मेदारी रख 


भूल न कर तू  दे धूनी रम जाने की 
इस दुनियाँ से चलने की तैयारी रख 


धीरे-धीरे काम नहीं पूरे होंगे
पैर में अपने पहिए की रफ़्तारी रख 


हाथ किसी के आगे न फैलाया कर
कम या ज्यादा थोड़ी तो ख़ुद्दारी रख

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