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दिल कहाँ मुब्तिला है उसे क्या पता
इश्क़ की ये हवा है उसे क्या पता
कुछ नहीं था निशाने पे उसके मगर
दिल मिरा आ गया है उसे क्या पता
कर रहा है कहानी बयां झूठ की
सामने आईना है उसे क्या पता
मिल गए आरज़ू के मुहल्ले कई
ज़िंदगी लापता है उसे क्या पता
वो सज़ा ही समझता रहा प्यार को
इस सज़ा में मज़ा है उसे क्या पता
हो रहा है धुआँ ही धुआँ हर तरफ़
ये कहाँ से उठा है उसे क्या पता
देखनी है मुझे ज़ुल्म की इंतिहां
दर्द ही अब दवा है उसे क्या पता
खा रहे ठोकरें सब मुसलसल यहाँ
ये नया रास्ता है उसे क्या पता