दवा

वैदेही कुमारी (अंक: 189, सितम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

काश, कोई दवा 
या हो कोई ऐसी दुआ
पा न सके तुझको फिर भी 
जीने में आये मज़ा 
ना बाक़ी रहे तेरी याद 
ना करे ख़ुदा से फ़रियाद 
ख़ुश रहे तू अपनी ज़िंदगी में 
हो दुनिया मेरी भी आबाद 
अफ़सोस के आँसू ना आयें दिल में 
उदासी के बादल ना छाएँ जीवन में 
था जैसा मैं तुझसे मिलने से पहले 
वैसा ही हो जाए मेरा जीवन 
पढ़ कर चाहे सोचो तुम मुझको बेवफ़ा 
न करनी है अब मुझको और वफ़ा
ख़ुश रहूँ मैं ख़ुद में 
क्या ऐसा सोचना भी है गुनाह। 

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