कोरोना के चलते

15-06-2021

कोरोना के चलते

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

जो स्कूलों की हुआ करते थे
रौनक़ कभी
वो अब अपने घरवालों के ख़ूब 
नाकों चने चबवा रहे हैं,
बिगड़ गया है पढ़ने का रुटीन उनका
जैसे-तैसे गाड़ी धकिया रहे हैं।
 
जो मैदानों की हुआ करते थे
रौनक़ कभी
वो अब मोबाइलों पर ही अपना
खेल कौशल आज़मा रहे हैं,
देकर मोबाइल अपने बच्चों को
हम तो अब बड़ा पछता रहे हैं।
 
जो गली-मोहल्ले की हुआ करते थे
रौनक़ कभी
वो अब घरों में क़ैद होकर 
खुली हवा के लिए छटपटा रहे हैं,
कैसा समय यह आया है
किस बात की सज़ा बच्चे पा रहे हैं?

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