चुप क्यूँ हो

01-10-2020

चुप क्यूँ हो

राजनन्दन सिंह (अंक: 166, अक्टूबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

तुम कहते हो
मेरी वश चले तो
सारे गद्दारों को मिटा दूँ
झूठे चापलूस धोखेबाज़ों को
सबक़ सिखा दूँ
अपनी नीति से सबको
रोज़गार और मूल अधिकार दिला दूँ
निरक्षर को साक्षर बना दूँ
साक्षर को रोज़गार दिला दूँ
देश को ऊँचे से ऊँचे 
शिखर पर पहुँचा दूँ
तो सबसे पहले
तुम कुछ ऐसा क्यूँ नहीं करते
जिससे तुम्हारी वश चले
 
जिसे मिटाने की बात करते हो
तुम उसके चापलूस क्यों हो
चापलूसों को सिखाने से पहले
तुम ख़ुद क्यों नही सीख लेते
उन भ्रष्ट अवसरवादी धोखेबाज़ों से
तुम्हारी मित्रता क्यों है
वोट के लिए
तुम उपेक्षित ग़रीबों को बहलाते हो
दबंग उपेक्षकों के आगे दुम हिलाते हो
ऐसा क्यूँ
बोलो तुम चुप क्यों हो?

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