चूहे का पहाड़

15-04-2021

चूहे का पहाड़

सुनील कुमार शर्मा  (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

एक चूहा सारी ज़िंदगी पहाड़ खोदता रहा। जब उसका अंतिम समय आया तो वह लगातार टकटकी लगाए उसी पहाड़ की तरफ़ देखे जा रहा था। उसके आस-पास बैठे अन्य चूहों ने पूछा, "क्या देख रहे हो . . .? "

"मैं देख रहा हूँ कि पहाड़ तो अभी उतना ही ऊँचा है!"  यह कहते ही उस बेचारे के प्राण-पखेरू उड़ गए।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
लघुकथा
कविता
सांस्कृतिक कथा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में