चढ़ावा

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

मंदिर में एक हज़ार एक रुपये चढ़ाने के बाद पचास वर्षीय आदेश कुमार जैसे ही मंदिर के अहाते से निकलकर मुख्य सड़क पर आए, वहाँ पड़े एक केले के छिलके पर फिसल गए। जान तो बच गई लेकिन कूल्हे की हड्डी चटक गयी।

किसी तरह से वहाँ से एक ई-रिक्शा में सीधे घर पहुँचे और फिर वहाँ से सीधे सफदरजंग अस्पताल। डॉक्टर ने उनका मुआयना और एक्सरे देखकर बताया कि उनकी बाएँ तरफ़ की हड्डी चटकी है। 

दूसरे दिन उनकी शल्य क्रिया हुई और फिर उनको दो दिन बाद घर भेज दिया गया। डॉक्टर ने उन्हें यह बता दिया था कि उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ होने में लगभग आठ हफ़्ते का समय लग सकता है। 

बहरहाल, इस घटना के तीसरे दिन आदेश को मिलने एक व्यक्ति अस्पताल में ऐसे वक़्त आया जब उसके पास कोई न था। आदेश के मुताबिक उसने कहा था, "तुम अपने कर्मों की सज़ा भुगत रहे हो। जो एक हज़ार एक रुपये तुमने मंदिर में आकर मुझे चढ़ाये थे, वे तुम्हारे उस रिश्वत का हिस्सा थे जिसे तुमने उस परिवार से लिया था जिन्हें निर्दोष होने के बावजूद झूठे मामले में फँसाया गया था। आगे से ख़्याल रखना और अपनी बेईमानी की कमाई में मुझे कभी शामिल न करना।" 

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