चाचा जी ने पाला बन्दर। करता है वह खों-खों दिन भर। जहाँ कहीं शीशा पा जाता दाँत दिखाता मुँह बिचकाता आँगन के पेड़ों पर चढ़ता। फल तोड़ता ऊधम मचाता।