बक्सवाहा की छाती

15-06-2021

बक्सवाहा की छाती

राजनन्दन सिंह (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

हाँ हाँ क्यों नहीं
काट दो जंगल
उजाड़ दो वन
वरना कौन ख़रीदेगा 
उस क्षेत्र में तुम्हारा 
डिब्बाबंद ऑक्सीजन
कर दो हरियाली की
जघन्य हत्या 
कौड़ी के दामों भर लो 
अमूल्य दुर्लभ लकड़ियों से
अपनी दुकान 
बेच दो फाँसकर 
पशु पक्षी मोर हिरण 
कोड़ दो बक्सवाहा की छाती 
लूट लो भविष्य की थाती 
छान लो हीरा 
छीन लो जीवन
ऐसे मुँह मत देखो
मशीनें उतारो
शुरु करो उत्खनन 
लगा दो चारदिवारी 
उसमें फिर से हीरे बोना 
बैठा दो पहरेदार 
तुम्हारे परपोते का छेड़पोता
निपट अभागा भी यदि निकला
फिर भी करा ही लेगा
इस लीज़ का रिन्यूअल 
दिला देगा इस पट्टे को 
पुनर्जीवन 
इसलिए अब देर क्यों 
निकालो अपनी आरी
काट दो जंगल
उजाड़ दो वन
निकालो हीरे
बेचो दुनिया में 
सजा दो जग की
सेठानियों के वदन   

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