बिटिया में मेरी साँसें बसती

15-09-2021

बिटिया में मेरी साँसें बसती

संजय वर्मा 'दृष्टि’ (अंक: 189, सितम्बर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

बेटी अब घुटने चलने लगी सँभलती वो अब धीरे-धीरे 
खड़ी होकर चलने लगी डगमगाती अब वो धीरे-धीरे 
 
कहीं गिर ना जाये मन कहता है चलो ज़रा धीरे-धीरे
पहली बार छोड़ने गया स्कूल, आँसू टपके धीरे-धीरे 
 
बिटिया बनी अफ़सर सपने सच होने लगे मेरे धीरे-धीरे 
बिटिया की शादी विदाई पग चलने लगे मेरे धीरे-धीरे 
 
पीछे मुड़कर बाबुल देखे आँखें कह रहीं धीरे-धीरे 
बूढ़ा हो जाऊँ बिटिया से मिलने जाऊँगा धीरे-धीरे 
 
बिटिया में मेरी साँसें बसती लोरी गाता मैं धीरे-धीरे 
संदेशा भेजती मेरी आँखों से आँसू झरते धीरे-धीरे 

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