बिटिया में मेरी साँसें बसती
संजय वर्मा 'दृष्टि’बेटी अब घुटने चलने लगी सँभलती वो अब धीरे-धीरे
खड़ी होकर चलने लगी डगमगाती अब वो धीरे-धीरे
कहीं गिर ना जाये मन कहता है चलो ज़रा धीरे-धीरे
पहली बार छोड़ने गया स्कूल, आँसू टपके धीरे-धीरे
बिटिया बनी अफ़सर सपने सच होने लगे मेरे धीरे-धीरे
बिटिया की शादी विदाई पग चलने लगे मेरे धीरे-धीरे
पीछे मुड़कर बाबुल देखे आँखें कह रहीं धीरे-धीरे
बूढ़ा हो जाऊँ बिटिया से मिलने जाऊँगा धीरे-धीरे
बिटिया में मेरी साँसें बसती लोरी गाता मैं धीरे-धीरे
संदेशा भेजती मेरी आँखों से आँसू झरते धीरे-धीरे
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