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बिना कुछ कहे सब अता हो गया
हंसी सामने चेहरा हो गया
दबे पाँव चल के, गया था कहीं
शिकारी वही, लापता हो गया
मुझे देख, 'फिर' गई निगाह उनकी
गुनाह कब ख़ास, इतना हो गया
नहीं बच सका, आदमी लालची
भरे पाप का जो, घडा हो गया
छुपा सीने में राज़ रखता कई
सयाना वो मुख़बिर, बच्चा हो गया
दबंग बन लूटा, सब्र की अस्मत
इज़ाफ़ा गुरुर, कितना हो गया
कहीं मातमी धुन सुना तो लगा
अचानक शहर में दंगा हो गया