बीत गए बरसों

01-04-2021

बीत गए बरसों

महेश पुष्पद (अंक: 178, अप्रैल प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

भटकता रहा हूँ मैं तब से,
दूर जब से तुम गए,
मेरे दिल में बसने वाले,
किस जहां में गुम गए,
 
प्यार जो पाया तुमसे,
कहीं और न मिल सका,
तेरे आँचल सा प्यारा,
कोई ठौर न मिल सका,

ज़िन्दगी के रस्तों पर,
तनहा खड़ा हूँ मैं,
मुश्किलें कितनी बड़ी थीं,
फिर भी लड़ा हूँ मैं,
 
बाद तेरे ज़िन्दगी भी,
ज़िन्दगी ना रही,
बाक़ी रहा न ख़ुदा कोई,
बंदगी ना रही,

साथ तेरे बाद किसी का,
मिला नहीं मुझको,
ज़िन्दगी से फिर भी,
कोई गिला नहीं मुझको,
 
हर कोई अपने हिसाब से,
इस्तेमाल करता रहा,
याद तुम्हें मैं साल दर,
साल करता रहा,
 
गुज़रे न जाने कितने ही,
आज, कल और परसों,
गुज़री न यादें तुम्हारी,
बीत गए बरसों।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें