भूत वार्ता

25-09-2007

एक भूत का बच्चा डरकर,
मम्मी से है यूँ कहता,
मैं न जाऊँगा अकेला,
सुना वहाँ है मानव रहता। 


सुनकर बात बड़े भाई ने
हिम्मत उसे बँधाई,
मानव-वानव कुछ नहीं होता,
मन का वहम है भाई। 


कहने को तो कह डाला पर
मन ही मन वो भी डरता था,
मानव से मुठभेड़ न हो बस
चालीसा वो भी पढ़ता था।


उसने भी मम्मी पापा की
खुसर-पुसर एक रोज़ सुनी थी,
नहीं रहे हम यहाँ निरापद
कह मम्मी सिर खूब धुनी थी। 


बोली थी कुछ ठौर ढूँढ कर
हम अब यह शमशान छोड़ दें,
मानव ही हमसे डरता है,
मिथ्या यह अभिमान तोड़ दें।


बात तुम्हारी सच है लेकिन
जायें कहाँ ज़रा बतलाओ
दानव से बच लेते हैं,
कहाँ नहीं मानव बतलाओ।


मठ, मन्दिर, गुरुद्वारे इसके,
कब्ज़े सब पर है बतलाता,
खण्डहर कब्रिस्तानों को भी
अपने पुरखों का है बतलाता।


अब तो केवल एक रास्ता
मुझे समझ में इतना आता,
धीर धरो और रहो देखते
कब यह इस जमात में आता।।
 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें