भाग्य और समय का दुष्चक्र

15-11-2019

भाग्य और समय का दुष्चक्र

किशन नेगी 'एकांत'

देखो जब किसी को
टूटते हुए
बिखरते हुए
तब चेहरे से मायूस और
मन से ख़ुश न होना
उपहास मत करना उसके वक़्त का
न ही स्वांग रचना
मिथ्या हमदर्दी का और
न ही कोई आडम्बर
क्योंकि वक़्त और क़िस्मत
कभी सगे होते नहीं किसीके
कौन जाने दोनों
कब पलट जायें और
आपके अंदर की ख़ुशी
धरी की धरी रह जाये
याद रखना मगर
आज उसकी बारी है
बारी कल तुम्हारी है
क़िस्मत और वक़्त
आज तुम्हारे साथ है तो
कल उसके साथ भी होंगे
बदलेगा प्रारब्ध उसका भी
उसका भी मुक़द्दर करवट लेगा
जो सलूक दोनों ने
किया है आज उसके साथ
करेंगे कल तुम्हारे साथ भी

1 टिप्पणियाँ

  • 15 Nov, 2019 05:03 AM

    nice

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