बेटी - प्रदीप कुमार दाश
प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'01.
माता की छाया
पिता का अभिमान
बेटी है शान।
02.
नन्ही सी कली
फूल बन बिटिया
महका चली।
03.
साँस है बेटी
मखमली नर्म सी
घास है बेटी।
04.
कोख से बची
दहेज से बचेगी
गर पढ़ेगी।
05.
जड़ सिंचती
पीहर आती बेटी
ओस की लड़ी।
06.
देर जो हुई
सहमी सी गौरेय्या
घर लौटती।
07 .
नर न छलो
गर्भ की कन्याओं को
मत संहारो।