बीते हुए कल

15-06-2021

बीते हुए कल

अमित डोगरा  (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

अरे! बीते हुए कल
बेफ़िक्र होकर मत घूम।
तुमसे अपने हर दर्द का
हिसाब लूँगा।
अरे! बीते हुए कल
बेफ़िक्र होकर मत हँस
तुमसे अपने हर आँसू का
हिसाब लूँगा।
अरे! बीते हुए कल
बेफ़िक्र होकर मत सो
तुमसे अपनी हर नींद का
हिसाब लूँगा।
अरे! बीते हुए कल
बेफ़िक्र होकर अपनी
झूठी शान पर मत इतरा,
तुमसे अपने हर अपमान का
हिसाब लूँगा।

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