बच तो नहीं सकेंगे कॅरोना के जाल से 

15-06-2020

बच तो नहीं सकेंगे कॅरोना के जाल से 

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 158, जून द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

बच तो नहीं सकेंगे कॅरोना के जाल से 
ना एहतियात से न किसी इंदिमाल से 


सोचा न हमने और भी आएँगी मुश्क़िलें
हम सरसरी गुज़रते गए हर सवाल से 


लाई हैं कैसा इश्क़ में सैलाब बारिशें 
हम बे-नियाज़ भीग रहे थे ख़्याल से 


फ़नकार लोग हैं ये बहुत होनहार हैं
जाया करेंगे और भी आगे कमाल से 


ख़ामोश रह सका न ज़माना किसी तरह 
मैंने भी राज़ खोल दिया फिर धमाल से


अपना दिया न हाल  मुझी से मिरा लिया 
शायद वो आशना है मिरे हाल -चाल से 


क्या वक़्त था वो प्यार पे कैसा उरूज था 
चेहरा दमक रहा था मिरा भी जमाल से 


ये दो हज़ार बीस अजीब-ओ-ग़रीब है 
जाना करेंगे लोग कॅरोना के साल से

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