बारिशों में भीग जाना सीखिये
नीरज गोस्वामीमुश्किलों में मुस्कुराना सीखिये
फूल बन्जर में उगाना सीखिये
जो चले परचम उठाकर दोस्तों
साथ उसका ही निभाना सीखिये
खिड़कियों से झाँकना बेकार है
बारिशों में भीग जाना सीखिये
आँधियाँ जब दे रही हो दस्तकें
तब दिये की लौ बचाना सीखिये
ताक पर धरके उसूलों को कभी
नाम अपना मत कमाना सीखिये
खामशी से आज सुनता कौन है
शोर महफ़िल में मचाना सीखिये
डालिये दरिया में यूँ मत नेकियाँ
अब भला करके जताना सीखिये
तान के रखिये इसे हरदम मगर
सर किसी दर पे झुकाना सीखिये
भीगती 'नीरज' किसी की याद से
आँख को सबसे छुपाना सीखिये
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