बारिश में माँ

01-03-2021

बारिश में माँ

प्रिया शर्मा (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

बारिश जब-जब तुम आती हो,
माँ को बहुत लुभाती हो,
सूरज चाचा साथ में जब हों,
इन्द्रधनुष के रंग बिखराती हो।
 
बारिश का आना और उसमें नहाना,
मम्मी का डाँटना और शोर मचाना,
घर के अन्दर घसीट कर ले जाना,
सिर पौंछते हुये कहना– 
बन्द करो अब मुझे सताना।
 
बारिश का सुबह-सवेरे आना,
स्कूल की छुट्टी का बहाना मिल जाना,
बारिश में खेलना और मस्ती मारना, 
थक कर माँ के आँचल में सिमट जाना।
 
घर के लोगों का अन्दर-बाहर होना,
मम्मी का चिल्लाना– 
गन्दे पैर अन्दर मत लाना,
पापा का ऑफिस से आना 
और कहना–
गरमागरम पकौड़े हों और 
मीठी चाय बना लाना।
 
घर के कामों से 
एक दिन फ़ुर्सत पाकर,
माँ ने सोचा आज घूमकर आते हैं,
कैसा पानी फिरा उम्मीदों पर माँ की,
जब बारिश के साथ बादल 
घुमड़-घुमड़ छा जाते हैं!
 

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