बारिश का ख़त

01-07-2021

बारिश का ख़त

पूनम चन्द्रा ’मनु’ (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

बारिश को बाँध कर . . . 
रोशनाई की जगह . . . 
भर लिया था . . . 
दवात में
बस वही ख़त
तुम्हारी खिड़कियों पर
कोहरे से लिखा है मैंने . . . 
. . . उसे धीरे से . . . 
आफ़ताब के सामने खोल कर
बूँद बूँद पढ़ लेना . . . 
चलती हुई बूँदों को देखना . . . 
जुड़ते हुए सिरों को छूना . . . 
शाम की दस्तक पर जमते हुए
लफ़्ज़ों को देखना . . . 
यक़ीं है मुझे
वो काँच के शीशे
इन बूँदों को सँभाल लेंगें
यक़ीं है मुझे
वो काँच के शीशे
इन बूँदों को सँभाल लेंगें

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