अवधूत सा पलाश

09-05-2016

अवधूत सा पलाश

सन्तोष कुमार प्रसाद

रक्तिम आभा बिखेरता
झुलसाती धूप मे खड़ा
अवधूत सा पलाश
 
चिलचिलाती धूप
जिसे विचलित न कर सके
जो अपनी हरीतिमा नहीं छोड़ता
मुस्कुराता खड़ा अवधूत सा पलाश
 
पेड़ पौधे जल गये, जहाँ देखो
झाड़ ही झाड़
उनके बीच सिर ऊँचा कर खड़ा
अवधूत सा पलाश
 
बासंती रंग का चोला पहने
रक्तिम आभा बिखेरता
अकेला ही खड़ा
अवधूत सा पलाश
 
झुलसाती धूप, गर्म हवायें चल रहीं हों
पशु पक्षी छुप रहे हो, ओट का
सहारा लेकर,
सिर ऊँचा किये हुए,
तमतमाती धूप में खड़ा,
अवधूत सा पलाश

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