और एक मैं

01-12-2019

और एक मैं

हेमंत कुमार मेहरा (अंक: 145, दिसंबर प्रथम, 2019 में प्रकाशित)

दो चार चेहरे - 
मेरे आस पास रहते हैं,
जाने-पहचाने,
देखे-भाले,
मिलते जुलते से. . .
गोया, सब हमशक़्ल हैं मेरे,
एक पुजारी,
एक शराबी,
एक भिखारी,
और एक मैं. . .

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