अपनी ज़ुल्फों को सितारों के हवाले कर दो
अब्दुल हमीद ‘अदम‘अपनी ज़ुल्फों को सितारों के हवाले कर दो
शहर-ए-गुल बादा गुसारों के हवाले कर दो
बादा-गुसार=शराबी
तल्ख़ी-ए-होश हो या मस्ती-ए-इदराक-ए-जनूं
आज हर चीज़ बहारों के हवाले कर दो
तल्खी-ए-होश=वास्तविकता की कड़वाहट;
मस्ती-ए-इदराक-ए-जनूं=उन्माद का नशा
मुझको यारो ना करो राह-नुमांओं के सपुर्द
मुझको तुम राह-गुज़ारों के हवाले कर दो
राह-नुमांओं=पथ-प्रदर्शकों; राह-गुज़ार=राही
जागने वालों का तूफ़ां से कर दो रिश्ता
सोने वालों को किनारों के हवाले कर दो
मेरी तौबा का बजा है यही एजाज़ “अदम”
मेरा साग़र मेरे यारों के हवाले कर दो
बजा=उपयुक्त; एजाज़=आदर; साग़र=शराब का प्याला
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