अनुभूति

01-05-2021

अनुभूति

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ज़िक्र नहीं
इसका ये अर्थ नहीं,
उनका अब हमें
कोई फ़िक्र नहीं।
 
जीवन की दौड़ में
न भूले हैं
न बिसरे हैं उनको
अंतर्मन की राहों में
सिमरा है हर पल उनको।
 
छोड़ा है बस
उनके साथ चलना,
मगर छोड़ा नहीं कभी
उनका साथ निभाना।
 
अनजान किया बस
अपनी बहकती नज़रों से
मगर आज भी
जान पहचान बनाये रखी है
हृदय की गहरी अनुभूति में।

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