अँखियों से तूने  किए  वो इशारे

01-02-2021

अँखियों से तूने  किए  वो इशारे

निज़ाम-फतेहपुरी (अंक: 174, फरवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

निर्गुण- 221 221 221 22

 

अँखियों से तूने  किए  वो इशारे
की पड़  गए  फीके  सारे नज़ारे
 
जब से बलम तुमसे लागी लगनियाँ
लागे न नीक अब ये चंदा चंदनियाँ
 
तूने   नए   रंग   हैं   वो   पसारे
की पड़ गए  फीके  सारे नज़ारे
 
यूँ ही गइल बीत कोरी उमरिया
काहे न लीना तु मोरी खबरिया
 
रो रो के हमने ये दिन हैं गुज़ारे
की पड़ गए फीके  सारे नज़ारे
 
होगा मिलन कब बता दे सजनवा
लागे न तुमरे बिना मोर मनवा
 
दिल में बसे अब तुम्ही तुम हमारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
 
सब बह गये नीर सूखे नयनवा
दिन रात तुमरे हि गाऊँ भजनवा
 
यादों में  तेरी  हुए  हम तुम्हारे
की पड़ गए फीके सारे नज़ारे
 
हमरियू निज़ाम अब है अइसन कहनियाँ
तुमरी हि धुन मा कटी ज़िंदगनियाँ
 
हर पल रहे हम तो  तेरे  सहारे
की पड़ गए फीके  सारे नज़ारे

– निज़ाम-फतेहपुरी

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