अख़बार पढ़ना
बहुत ज़रूरी है
वरना
पता ही नहीं लगता
कहाँ पानी के लिये
कितनी दूर तक
पैदल निकलते हैं
पुरुष, महिलायें, बुज़ुर्ग, बच्चे
कहाँ हो जाती है
सिर फुटौव्वल
कहाँ पानी के बिना
प्यासे मर रहे हैं
शेर, हाथी, साँप, पक्षी,चींटी... लोग
अख़बार न पढ़ने की
ग़लती से
बेख़बर
सींचते रहते हैं
अपना गलियारा
धोते रहते हैं अपना वाहन
बहाते रहते हैं पानी...
इसीलिये
अख़बार पढ़ना
बहुत ज़रूरी है
लोग कहेंगे तो
बुरा लगेगा
यक़ीन भी नहीं करेंगे
और बहाते रहेंगे पानी
निर्भीक... अहं भरे
मोबाइल में
फ़ीड नेताओं के नंबरो ने
बना दिया है निष्ठुर.. पंगु
जानते हैं
उन्हें फोन लगाते ही
आसपास गूँजने लगेंगी
आवाज़ें...
जी सर...यस सर...नो सर...
और फिर
फिर कोई कुछ नहीं कहेगा
सींचते रहेंगे गलियारा
दिनभर.. रात-दिन..मनमर्ज़ी तक
वोट बहुत क़ीमती है
नेताजी जानते हैं
आप भी
... और हम भी।