अफ़्रीकी बाला 

01-10-2021

अफ़्रीकी बाला 

बृजेश सिंह (अंक: 190, अक्टूबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

नाइजीरिया की कवियत्री न्गोजी ओलिविया ओसुओहा ‘Ngozi Olivia Osuoha’ की कविता The African Girl’  को हिंदी भाषा में ‘अफ़्रीकी बाला’ शीर्षक से बृजेश सिंह द्वारा अनूदित किया गया है ।

 

मेरे पट्ट तलवे मेरी आत्मा को नहीं करते नत   
कम से कम पाँच फुट नौ इंच की हूँ मैं, 
मेरे पहनावा सामान्य, पर व्यक्तित्व नहीं
अवश्य ही, मैं हूँ विश्व में इकलौती,
मेरे छोटे स्तन दिमाग़ को संकुचित नहीं करते  
मैं हूँ एक असाधारण घटना!
 
मेरे रूखी सूरत की सुनो,
कहता है भव्य भाग्य 
मेरे मैले बालों को देखो,
लहराते हैं ज़ोरों से, शोभायमान होने को,
मेरे छोटे नाखूनों को सुनो,
जो चाहते हैं विश्व को हुक्म देना   
देखो, मेरी काली आँखें,
दमकती हैं सोने की मानिंद 
सुनो, मेरी प्यारी नाक ले रही,
चमकदार हीरे सी श्वास 
देखो, मेरे लंबे पैरों के डग, गर्व से हैं काँटों पर
ये अफ़्रीकी बाला, हे प्रकृति तुम ही हो!
 
मुझे अपने सौन्दर्यवर्धन के लिए नहीं चाहिए ख़ंजर
मुझे अपनी रंगत बदलने के लिए
नहीं चाहिए कोई रसायन, 
अरे! देखो सौंदर्य प्रसाधन कैसे हैं मेरे सामने नतमस्तक  
देखो, मेरी मांसल कमर को,
तारतम्य में करती है रॉक एंड रोल  
महसूस करो, मेरी फैली बाँहों के अनकहे बुलावे को  
और दूर तक है मेरे बड़े कानों का फैलाव,
ये अफ़्रीकी बाला, हे प्रकृति तुम ही हो!
 
नोंकदार उरोजों को, हम ही हैं सहेजते 
पयोधरों के उभारों पर हमारा ही है पहरा 
ना हम बहकते हैं और ना हैं कोई ग़ुलाम
क्योंकि गर नग्नता बुलावा होती,
तो हम डालते तुम्हें ख़तरे में!
 
मैं छरहरी हूँ, स्वभाव से हूँ मॉडल 
देवत्व की एक आदर्श कलाकृति 
पर मैं गर भविष्य में हुई गोल-मटोल 
इसके लिए अभी देर है, मेरा दुस्साहस।
 
ऑर्केस्ट्रा हूँ मैं, माधुर्य भी  
रसायन हूँ मैं; शुद्धता भी  
मैं गैलरी हूँ, पर अमिश्रित 
प्रदर्शनी हूँ मैं, अश्वेत और सहज! 
 
सामग्री हो तुम और पात्र भी 
संतुष्ट हो तुम और एकाग्र भी 
तुम ही प्रतियोगिता और तलाश भी, 
इतनी पवित्र हो तुम, और प्राकृतिक भी  
हे अफ़्रीकी बाला!
 
हीनता महसूस न करो, नृत्य करो 
स्व को रचो और सजाओ अंतस को
ऊँचा उड़ो, प्रकृति से परिपूर्ण हो तुम,
असाधारण बाला, सौंदर्य की देवी ।
 
कैमरे लेते हैं रिश्वत, दर्पण हैं भ्रष्ट 
परछाइयाँ हैं स्याह, विकृत गूँज 
फिर भी है मेरा एक ख़्वाब, सुस्पष्ट
कि किसी दिन पत्रकारिता भी,
मेरे सौन्दर्य की गवाही देने का करेगी साहस, 
यह बाला आग लगा देगी कैमरों में
और दर्पणों को जलाकर कर देगी राख!
 
बहुत ही तीखी हूँ,
इसलिए वो पहुँचाते हैं दुःख मुझे
सिर्फ टैटू ही नहीं लिखी जा सकती हैं कहानियाँ भी 
निशान भी बन सकते हैं सितारे यहाँ तक कि वर्जनायें भी,
इसलिए प्रिय अफ़्रीकी बाला, प्रकृति हो तुम!
 
गर नग्नता बुलावा होती, तो मैं धमकाती आदम को 
अगर नग्नता बुलावा होती,
तो मैं तुच्छ कहती हव्वा को 
एक रियासत, एक सत्ता 
एक शक्ति, एक सृजनकर्ता  
मैं राज करती हूँ अपनी दुनिया पर!
 
याद रखो, मैं हूँ एक कवि, मुझे शब्दों पर दया नहीं 
यह अफ़्रीकी बाला प्रकृति है, होशियार! 
 

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