अब ज़रूरत है तुमको

01-04-2020

अब ज़रूरत है तुमको

अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’ (अंक: 153, अप्रैल प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

मेरी व्यथा को तुमने,
कभी महसूस किया ही नहीं।
मेरी आँसुओं की धाराएँ,
कभी तुम देख न पाए।
मेरी, बेचैनी, मेरेअकेलेपन को,
तुमने कभी जाना ही नहीं।
और वो सवाल जिसको,
मेरे लब तुमको कह न पाए।


तुमने माना था, लेकिन ऐसा नहीं होता,
हर बार नहीं जीतता है कोई जीवन में।
समय हमेशा एक सा नहीं रहता,
और हालात बदलते देर नहीं लगती।


आज तुम अकेले हो,
और एहसास हो चला है तुमको,
मेरी हर रोज़ की उस पीड़ा का,
दिन-रात की मेरी बेचैनी का,
आँखों से बहते मेरे आँसुओं का,
और असहाय मन की व्यथा का,
आज जवाब है तुम्हारे पास,
मेरे उस अनकहे सवाल का।


अब ज़रूरत है तुमको,
मेरे उस साथ की,
जो कभी चाहा था,
मैंने टूटकर तुमसे।

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