अब करोगे क्या?

01-09-2021

अब करोगे क्या?

अरुण कुमार प्रसाद (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

ज़माने से ही तेरी दुश्मनी है कह, करोगे क्या?
तुम्हारे हाथ में सत्ता है बोलो अब करोगे क्या?
 
जब चुनना था तुमने धर्म, गोत्र, जाति था चुना। 
वे ही तेरे विरुद्ध युद्ध में खड़े, अब करोगे क्या?
 
निराधार सारे सिद्धान्त थे तेरे, इतराते ही रहे। 
प्रयोग हुए फ़ेल इसलिए, कहो अब करोगे क्या?
 
तुम्हारे हाथ में अवसर थे ख़ुशियों के दोस्त,
रेत की भाँति गिरने दिया, कहो अब करोगे क्या?
 
तुमने पाला था जतन से अति मान्यवर अतीत। 
आस्तीन का साँप हुआ कहो, अब करोगे क्या?
 
तेरे नेता का बड़ा वादा था हल खोज देगा वह। 
चुटकी बजाना भूल गया है, अब करोगे क्या?
 
इसलिए अपना गणित ख़ुद बाँचने को सीख।
इतिहास पढ़ा गया तुझे कहो, अब करोगे क्या?

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