आज़माना ठीक नहीं

15-07-2021

आज़माना ठीक नहीं

आशीष तिवारी निर्मल (अंक: 185, जुलाई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

दोस्ती में दोस्तों को आज़माना ठीक नहीं  
बेवज़ह की बातों पे तैश खाना ठीक नहीं।
 
कोई शिकवा, शिकायत हो तो हमसे कहिए
यूँ सबसे मन की व्यथा सुनाना ठीक नहीं।
 
हर समस्या का है हल आज नहीं तो कल 
छोटी-छोटी बातों पर घबराना ठीक नहीं।
 
मुश्किल से ही गुँथते हैं रिश्तों के ताने बाने 
स्वारथ की वेदी पे रिश्तों को चढ़ाना ठीक नहीं।
 
तुम सच्चे थे सच्चे हो ये भ्रम भी हो सकता है
भ्रम में पड़कर औरों को झुठलाना ठीक नहीं।
 
भूल किए हो भारी माफ़ी माँग भी सकते हो
बरसों से निभते रिश्तों को दफ़नाना ठीक नहीं।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

नज़्म
पुस्तक समीक्षा
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता
गीत-नवगीत
वृत्तांत
ग़ज़ल
गीतिका
लघुकथा
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में