आवाज़ तोड़ता हूँ

01-07-2021

आवाज़ तोड़ता हूँ

राहुलदेव गौतम (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

जब भी तेरे
ख़्यालों से मेरा ख़्याल गुज़रे
जब भी तेरे
नज़रों से मेरा अक्स गुज़रे,
बंद हथेलियों में
तुम्हारी बेचैनी सख़्त हो
अपनी रगों से धड़कनों की
रफ़्तार थाम लेना,
एक क्षण ही सही
मैं अर्थ में स्वर का
वर्ण छोड़ता हूँ,
मैं जगह-जगह पत्थर से
आवाज़ तोड़ता हूँ!

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