आपको मेरी रचना पढ़ने की आवश्यकता नहीं
आप बेझिझक पढ़ सकते हैं
टिमटिमाते आकाश को,
घूमती-फिरती धरती को।
ऋतियों में घुस सकते हैं
अन्न के खेतों में पसर सकते हैं
वृक्ष को बढ़ता देख सकते हैं,
ईश्वरीय परिकल्पना कर सकते हैं।
पत्थर हाथ में ले
बहुत दूर फेंक सकते हैं,
फल -फूल चुन सकते हैं
पानी से स्वयं को सींच सकते हैं,
लोगों के बीच गीत बन सकते हैं
या उनसे संवाद कर सकते हैं।
आप मधुमक्खियों के छत्ते से हो
शहद बन टपक सकते हैं,
या बंजर को सींच सकते हैं,
तब तुम्हें कविता पढ़ने की ज़रूरत नहीं
न लम्बी कहानियाँ, न उपन्यास
न महाकाव्य, न नाटक।
तब तुम जीते जागते रचनाकार हो,
और कविता शब्दों का गुच्छा
चाबी के गुच्छे की तरह,
जिससे हृदय खुल भी सकते हैं
और बंद भी हो सकते हैं।