आपको आज इक नज़र देखा

15-02-2021

आपको आज इक नज़र देखा

कु. सुरेश सांगवान 'सरू’ (अंक: 175, फरवरी द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

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आपको आज इक नज़र देखा 
फिर कई बार देखकर देखा
 
ए ग़म-ए-ज़िंदगी तिरे जैसा 
और कोई न हमसफ़र देखा 
 
आप समझे नहीं कभी मन की
आप जैसा न बे-ख़बर देखा 
 
ज़िंदगी ख़ाक ज़िंदगी होगी
इश्क़ का रास्ता अगर देखा
 
उम्र आख़िर गुज़ार दी हमने
ज़िंदगी का नहीं गुज़र देखा 
 
उससे मिलना बहुत ज़रूरी  है
ख़्वाब में जिसको दर-बदर देखा 
 
आप जितने हसीं नहीं है हम 
लाख हमने सँवर सँवर देखा
 
मौत ही अब वफ़ा के क़ाबिल है
ज़िंदगी को न मोतबर देखा

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