आख़िर कहना पड़ेगा

01-05-2021

आख़िर कहना पड़ेगा

वैदेही कुमारी (अंक: 180, मई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

हर बार मैं ही क्यों कहूँ 
तुम्हें भी कहना पड़ेगा 
यादों में तेरी मैं ही क्यों उलझूँ 
तुझको भी ख़्यालों में मुझको बुनना पड़ेगा 
सवाल हैं कई मन में तेरे 
जवाब जिनका मुझको देना पड़ेगा 
है ये इश्क़ ना तेरा ना मेरा 
इशारा ये तुझको समझना पड़ेगा 
ज़माना जाने ना इसको 
पर बताना तो सबको पड़ेगा 
कब तक यूँ ही छिपाता रहूँगा 
प्यार को तेरे तरसता रहूँगा 
तू है मेरी मैं हू तेरा 
इश्तिहार अख़बार में अब तो छपवाना पड़ेगा।

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