आज तिरंगे को देखा
गंगाधर शर्मा 'हिन्दुस्तान'आज तिरंगे को देखा तो जख़्म पुराने याद आये
जलियाँ वाला याद आया तोपों के निशाने याद आये
हर और तबाही बरपा थी ज़ुल्म ढहाया जाता था
हुस्न के हाथों आशिक़ के ख़्वाब मिटाने याद आये
अपने पीछे दौड़ रहे उस बालक को जब देखा तो
तुम याद आये और तुम्हारे साथ ज़माने याद आये
फूटी कौड़ी भी ना दूँगा जब भी कोई कहता है
कौरव-पांडव वाले तब ही सब अफ़साने याद आये
टपटप टपके थे आँसू तब "हिन्दोस्तां" की आँखों से
अपनों के हाथों अपनों के क़त्ल कराने याद आये