आज का राँझा हीर बेच गया
चाँद 'शेरी'आज का राँझा हीर बेच गया
हीरे जैसा ज़मीर बेच गया।
इक कबाड़ी को वो निरा जाहिल
मीर तुलसी कबीर बेच गया।
सोने चाँदी के भाव व्यापारी
दे के झाँसा कथीर बेच गया।
इक कबीले की शान रखने को
अपनी बेटी वज़ीर बेच गया।
बाप दादा की उस हवेली को
एक अय्यास अमीर बेच गया।
कह के ’शेरी’ उसे चमत्कारी
कोई पत्थर फ़कीर बेच गया।