आई होली आई रे

01-04-2021

आई होली आई रे

दिलीप सिंह शेखावत (अंक: 178, अप्रैल प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

तेरी चूनर हवा में जो लहराई रे
देखो आई होली आई होली आई रे
आज रंग हवा में उड़ा जाए रे
देखो आई होली आई होली आई रे... - 2
 
हाथों में लिए देखो गुलाल हम खड़े हैं
जाओगी कहाँ आज पीछे हम पड़े हैं
बच ना सकोगी तुम मेरे इस रंग से
हम भी हाँ आज अपनी ज़िद पर अड़े हैं -2
 
मुझे देख के तू ऐसे जो शरमाई रे
देखो आई होली आई होली आई रे
तेरी चूनर हवा में जो लहराई रे...
 
झीनी चूनर वाली सुनले ओ अल्हड़ छोरी
रँग दूँगा गाल गुलाबी,  कैसे रहने दूँ मैं कोरी
बाक़ी तो रँगे हैं तन, मेरा रंग तो मन तक जाए 
धीरे से पास आने दो, शोर ना मचाओ गौरी -2
 
तेरी कमर ऐसे जो बलखाई रे 
देखो आई होली आई होली आई रे
तेरी चूनर हवा में जो लहराई रे...
 
मन के मलाल को गुलाल संग उड़ जाने दो
प्रेम का पानी आज, तन पर पड़ जाने दो
अब ना सताओ देखो, मुझको ना तुम ऐसे रोको
प्रेम भरा है मन, मन से मन को मिल जाने दो - 2
 
आज जिया से जिया मिल जाए रे 
देखो आई होली आई होली आई रे
तेरी चूनर हवा में जो लहराई रे...

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें