वो लड़की मुझे कविता सी लगी मैंने उसे फूल भेजे फूलदान के बिना तो उसने कहा:
"फूलदान के बिना क्या फूल भला?"
आह! वो लड़की कविता सी ’लगने’ और ’होने’ का अंतर रह गई॥