आह! वो लड़की
ओंकारप्रीतवो लड़की
मुझे कविता सी लगी
मैंने उसे फूल भेजे
फूलदान के बिना
तो उसने कहा:
"फूलदान के बिना
क्या फूल भला?"
आह! वो लड़की
कविता सी
’लगने’ और ’होने’
का अंतर रह गई॥
वो लड़की
मुझे कविता सी लगी
मैंने उसे फूल भेजे
फूलदान के बिना
तो उसने कहा:
"फूलदान के बिना
क्या फूल भला?"
आह! वो लड़की
कविता सी
’लगने’ और ’होने’
का अंतर रह गई॥