सरकार कुछ भी कहे, इस देश में सब यह समझते हैं कि यह प्रथा सरकार की सहमति और भागीदारी के बिना कभी की समाप्त हो गई होती। इस समय भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ से गिरमिट मज़दूर जाते हैं, भारत को इस अपमान का भागीदार क्यों बनाया जा रहा है? भारत  अंतरआत्मा दुर्भाग्य से बहुत दिनों से सो रही थी। अब उसे इस समस्या की विराटता का अनुभव हुआ है। और मुझे कोई संदेह नहीं है कि वह अपने को अभिव्यक्त किए बिना चैन नहीं लेगी। मैं सरकार से कहूँगा कि हमारी भावनाओं की अवहेलना ना करें। ‘गोपालकृष्ण गोखले, 4 मार्च, 1912 भारत की इम्पीरियल लेजिस्लेटिल काऊंसिल में।  भारत ने 1947 में आज़ादी प्राप्त की। यह माना जाता है कि 1857 की क्रांति भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था। मेरे विचार से लाखों भारतीयों को शर्तबंदी की प्रथा से निकालने वाला, उन्हें खुले आकाश के नीचे… आगे पढ़ें