विशेषांक: फीजी का हिन्दी साहित्य

20 Dec, 2020

ऐ थम जा मदहोश परिंदे!

कविता | खमेन्द्रा कमल कुमार

ऐ थम जा मदहोश परिंदे!
ये चाँद सी तड़प
सूरज सी जलन
अरमानों को
राख कर देगा
हमारे सपनों को
ख़ाक कर देगा
ऐ थम जा मदहोश परिंदे!
उड़ना मुझको आता नहीं
जलना हमें  गवारा नहीं
तुम उस डाली
हम इस डाली
इस से उस डाली
जाना हमें गवारा नहीं
ऐ थम जा मदहोश परिंदे!
संबंधों में बिखराव
अपनों से टकराव
यू पल-पल
जीना-मरना हमें गवारा नहीं
ऐ थम जा मदहोश परिंदे!

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