लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला
आओ झूमें नाचें ज़रा।
लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला
खायें पियें सोयें ज़रा।
लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला।
(जंगल में शीनू गीदड़ मीनू गीद्ड़ी का
हाथ पकड़ कर नाच गा रहा है। वहीं पर बया रानी अपना घोंसला
बना रही है। बादल उमड़ते देख कर मीनू से बोली—)
|
बया
रानी : |
मीनू बहिन! बरसात का मौसम आने
वाला है। मैं तो अपने बच्चों के लिये घोंसला बना रही हूँ।
तुम भी अपने नन्हे-मुन्नों के लिये प्रबंध कर लो। |
|
(मीनू अपना हाथ छुडाकर रुककर सोचने
लगती है। शीनू उसका हाथ पकड़ कर खींचता है और गाने लगता
है—)
दुनिया की बातें न मन से लगा
मीनू रानी गाओ लारी लप्पा ला।
लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला… |
(शीनू और मीनू फिर मस्त हो कर नाचने गाने
लगते हैं।
चीकू खरगोश आता है और इनको नाचते गाते देख कर कहता है—) |
चीकू
खरगोश : |
शीनू भाई तुम इतने नासमझ कैसे हो
गये? देखो तोतों ने पेड़ों की कोटरों में घर बना लिये हैं।
हाथियों के झुंड भी घने पेड़ों की छाया में चले गये हैं।
मोटू भालू ने भी पहाड़ी की गुफा में घर बना लिया है। देखो
बंदर भी खंडहर में रहने चले गये। |
शीनू
: |
(शीनू खरगोश की बात काटते हुए)
अरे जाओ, भैया जाओ। अपना रास्ता नापो। तुमसे किसने सलाह
माँगी है कि आ गये ज्ञान बघारने। |
(मोटू भालू उधर से गुज़र रहा था तो
रुक कर बोला) |
मोटू
भालू : |
अरे भाई चीकू खरगोश ठीक ही तो कह
रहा है। शीनू तुम नासमझी करते हो पर मीनू भाभी तुम्हें
क्या हुआ है? तुम तो माँ बनने वाली हो, इतनी लापरवाह कैसे
हो गई? |
शीनू
: |
(शीनू क्रोध से डपट कर बोला)
बकवास बंद करो तुम लोग। तुमसे क्या मतलब, जो तुम हम
मियाँ-बीबी के बीच दाल-भात में मूसरचंद बने हो। जाओ भागो
यहाँ से। जब समय आयेगा तो मैं सब सम्हाल लूँगा।
(यह कह कर मीनू का हाथ पकड़ कर खींचता है
और गाने लगता है...)
आओ रानी नाचें गायें ज़रा,
लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला..।
लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला।
|
(चीकू खरगोश और मोटू भालू ने सहानुभूति से
एक दूसरे की ओर देखा
और चलते हुए बोले) |
चीकू
और मोटू : |
भाई इतना अपमान तो आज तक हमारा किसी
ने नहीं किया था। चलो चलें हमें क्या है? आलस का फल भुगतना
तो इन्हीं को पड़ेगा। |
|
(कहते हुए चीकू और मोटू चले जाते
हैं) |
नेपथ्य में—(काले-काले
बादल उमड़-घुमड़ कर आ रहे हैं। बिजली कडक रही है। पक्षी तेज़ी
से उड़ कर अपने घोंसलों की ओर जा रहे हैं। पशुओं ने भी
अपने-अपने घर का रास्ता पकड़ लिया है। ज़ोर से बादल गरजता है
और मीनू को पेट दर्द शुरू हो जाता है। वह दर्द से छटपटाने
लगती है। इतने में रिमझिम वर्षा शुरू हो जाती है।
मंच पर मीनू प्रसव पीड़ा से छटपटा रही है। अब शीनू घबराता
है और एक-एक कर बया रानी, चीकू खरगोश, मोटू भालू, मानू
बंदर के पास सहायता माँगने जाता है। सब उसे टका सा जवाब दे
देते हैं - तुम आलस कर रहे थे अब भुगतो।
फौक्सी लोमड़ी को मीनू की दशा देख कर दया आ जाती है। वह
बताती है—) |
फौक्सी : |
पहाड़ की ऊपर
वाली गुफा में गब्बर शेर की मांद है। वह इस समय खाली है।
मैंने गब्बर शेर को उत्तर की ओर जाते देखा है। वैसे तो वह
अब कई दिन नहीं लौटेगा। आज तुम उसमें चले जाओ पर कल ही
अपना प्रबंध कर लेना। |
शीनू : |
(शीनू फौक्सी
लोमडी के गले लगकर बोला—)
धन्यवाद बहिन। लाख बार धन्यवाद। |
(यह कह कर मीनू को सहारा देते हुए शेर की
गुफा में ले जाता है। फौक्सी लोमड़ी भी मीनू को सहारा देते
हुए साथ जाती है। गुफा में पहुँचते ही मीनू दो बच्चों को
जन्म देती है।) |
फौक्सी : |
(फौक्सी मीनू
के बच्चों को प्यार से सहलाती है और शीनू से कहती है—)
देखो शीनू भाई आज तो तुम यहाँ बेधड़क रुक जाओ पर कल अपना
कुछ प्रबंध ज़रूर कर लेना। मुझे मालूम है कि गब्बर शेर
उत्तर दिशा में जाता है तो दो-तीन दिन वापस नहीं आता है पर
बारिश हो रही है क्या पता जल्दी लौट आये। |
शीनू : |
(शीनू ने ज़ोर
से सिर हिलाते हुए कहा-)
हाँ, ठीक है।
(और फौक्सी को एक बार फिर धन्यवाद देता है।) |
(मीनू शेर की गुफा में रात भर बेचैन रही।
अगले दिन सूरज निकलते ही शीनू को हिलाकर जगाते हुए बोली—) |
मीनू : |
शीनू दिन निकल
आया है। अब अपने रहने की जगह खोज लो, ऐसा न हो कि गब्बर
शेर आ जाये। यहाँ शेर की दुर्गंध बसी है। हमे बच्चों को
स्वच्छ वातावरण में रखना चाहिये। |
शीनू : |
(शीनू अंगड़ाई
लेकर लेटते हुए बोला—)
मीनू तुम अभी बहुत कमज़ोर हो। एक-दो दिन आराम कर लो तब चले
जायेंगे। गब्बर आयेगा तो उसके आने के बारे में तो पहले ही
पता चल जायेगा चिंता मत करो।
(यह कह कर वह गाने लगा-)
लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला
झूमें, नाचें गायें ज़रा। लारी लप्पा ला...। |
(मीनू बार-बार शीनू को घर खोजने की याद
दिलाती पर
शीनू आलस में लेटा गाता रहता।
इस तरह कई दिन बीत गये। मीनू समझाते हुए बोली—) |
मीनू : |
देखो शीनू इस
समय बारिश भी रुक गई है। अभी हम आसानी से घर खोज लेंगे।
यदि शेर आ गया तो क्या होगा? |
(नेपथ्य में जंगल शेर की दहाड़ से गूँजने
लगता है।
अब शीनू मीनू भी थर-थर काँपने लगते हैं।) |
मीनू : |
अब क्या होगा? |
|
(शीनू आलसी था
पर था बहुत चतुर। सोचते हुए बोला—) |
शीनू : |
देखो मीनू शेर
को आते देख कर मैं तुम्हें इशारा कर दूँगा तब तुम बच्चों
को ज़ोर से चिकोटी काट कर रुला देना। मैं पूछूँगा तो कहना
बच्चे बहुत भूखे हैं, बाकी मैं सम्हाल लूँगा। |
(जैसे ही शीनू को शेर दिखाई दिया उसने
मीनू को इशारा किया। मीनू ने बच्चों को ज़ोर से चिकोटी काटी
तो बच्चे चीख कर रोने लगे।) |
शीनू : |
बच्चे क्यों
रो रहे हैं? |
मीनू : |
बच्चे भूखे
हैं। |
शीनू : |
मैंने सुबह
भैंसा मारा था वह खिला दो। |
मीनू : |
वह तो पहले ही
चट कर गये। |
शीनू : |
चिंता न करो।
बच्चों को चुप करा दो। अभी मैंने शेर के दहाड़ने की आवाज़
सुनी है। मैं शेर को मार कर लाता हूँ। |
मीनू : |
हाँ शेर का
मांस खाने की ज़िद कर रहे हैं। |
(शेर गुफा की ओर आते-आते रुक गया—सोचने
लगा कि यह कौन भयंकर जीव मेरी गुफा में आ गया जो शेर का
शिकार करेगा। उसके बच्चे भैंसा चट कर गये और शेर का मांस
खाने की ज़िद कर रहे हैं। ज़रूर यह कोई भयंकर जीव है। अभी
भाग चलना ही उचित है।
गब्बर शेर लौटकर आ रहा था तो रास्ते में जबरी शेरनी
मिली। उसने पूछा-) |
जबरी : |
वनराज! आप
गुफा में क्यों नहीं गये? वापस कहाँ जा रहे हैं? |
गब्बर शेर : |
जबरी रानी
क्या बताऊँ अपनी गुफा में कोई भयँकर जीव आ गया है जिसके
बच्चे भैंसा चट कर गये और शेर का मांस खाने की ज़िद कर रहे
हैं। |
जबरी शेरनी : |
चलिये हम
दोनों चलते हैं। देखें तो कौन सा जीव है जो हमारे घर में
घुस गया। डरिये नहीं एक से दो भले। एकता में बड़ा बल होता
है। |
(शीनू बहुत बुद्धिमान था। समझ रहा था कि
शेर दुबारा आने का प्रयत्न करेगा। उसने मीनू को भी समझा
दिया।
गब्बर शेर और जबरी शेरनी गुफा के समीप आते हैं। शीनू सतर्क
था। दोनों को आते देखकर मीनू को इशारा करता है। मीनू
बच्चों को चिकोटी काटकर रुला देती है।
शीनू अपने मुख पर बांस का टुकड़ा रख कर ज़ोर से बोला—) |
शीनू : |
बच्चों को चुप
कराओ। शेर आ रहा है। पहले बच्चों के रोने की आवाज़ सुन कर
शेर भाग गया था। आहा- आज तो हम दोनों का भी पेट भर
जायेगा—शेर और शेरनी दोनों आ रहे हैं। हो सकता है बच्चे भी
साथ में हों। |
(शीनू की भारी गूँजती आवाज़ सुन कर गब्बर
शेर और जबरी शेरनी थम जाते हैं। सोचते हैं कि जो हम दोनों
का शिकार करने को तैयार है वह अवश्य ही कोई भयंकर जीव होगा
अतः वापस लौटने में ही भलाई है। शेर और शेरनी वापस लौट
जाते हैं)।
(शीनू रात भर जग कर पहरा देता है। वह अब आलस त्याग देता
है। सुबह होते ही घर खोजने निकल जाता है। जाने से पहले
मीनू से कहता है—) |
शीनू : |
अब यहाँ रहना
ख़तरे से खाली नहीं है। तुम बच्चों सहित तैयार रहना। मैं
रहने का कुछ न कुछ इंतज़ाम करके ही लौटूँगा। |
|
(नेपथ्य में-
परिश्रम का फल अवश्य मिलता है।) |
शीनू को परिश्रम करते देख कर फौक्सी
लोमड़ी उसकी सहायता करने आ गई। उसने चीकू खरगोश को
समझाया...
किसी ने तुम्हारा अपमान किया है इस
अपराध को क्षमा करना महानता है। हाँ अगर कोई तुम्हें कमज़ोर
समझ कर दबाना चाहे तो उसका उत्तर देना चाहिये। परेशानी में
पड़े जीव की सहायता करना सच्चा धर्म है चाहे वह तुम्हारा
दुश्मन ही हो।
फौक्सी लोमड़ी के समझाने पर चीकू खरगोश, मोटू भालू, मानू
बंदर, बया रानी, गोलू हाथी यानी सभी जानवर शीनू की सहायता
करने लगे। सबकी सहायता से शीनू के लिये एक मांद खोज ली गई।
उसे खोद कर, साफ़ करके रहने योग्य बना दिया गया। बया रानी
ने बच्चों के नीचे बिछाने के लिये घास की चादर बिछा दी।
शीनू मीनू और बच्चों को लेकर अपने नये घर में आता है। शीनू
और मीनू प्रण करते हैं कि हम कभी आलस नहीं करेंगे।
फौक्सी लोमड़ी, बया रानी, चीकू
खरगोश, मोटू भालू, मानू बंदर, गोलू हाथी शीनू-मीनू को बधाई
देने आते हैं। समवेत स्वर में सब शपथ खाते हैं –
हम कभी आलस नहीं करेंगे। सब काम समय पर
करेंगे। दूसरे की गलती को यथासम्भव क्षमा करेंगे। किसी का
गलत दबाव नहीं सहेंगे, परेशानी में पड़े जीवों की सहायता
करेंगे...
और बात बीच में काट कर फौक्सी लोमड़ी
बोली, "और लारी लप्पा लारी लप्पा लारी लप्पा ला गायेंगे।
सब लोग एक साथ गाने लगे—
लारी लप्पा.........।
|